मेरी छाया है, तू ज़िंदगी के इस सफर में हम कई रिश्तों से गुज़रते हैं, कुछ अपने होते हैं, कुछ पराए। पर कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो समय और दूरी की परवाह किए बिना हमारे साथ होते हैं। एक ऐसा ही रिश्ता है जो इस कविता में दर्शाया गया है: " तुम उस पार गए, इस पार आए, मैं जिस पार गया, तुम भी उस पार आए, तेरा नाम .......... हो, पर तू मेरी छाया है, " यह कविता एक अदृश्य जुड़ाव की कहानी बताती है, जहाँ दो आत्माएँ एक-दूसरे की परछाई बनकर रहती हैं। चाहे कितनी भी दूरियाँ क्यों न हों, चाहे कितने भी मोड़ क्यों न आएं, वे हमेशा एक-दूसरे के साथ होते हैं। दूरी में भी साथ जब हम कहते हैं "तुम उस पार गए, इस पार आए," तो यह ज़ाहिर होता है कि सामने वाला व्यक्ति हर मुश्किल और हर स्थिति में हमारे साथ खड़ा रहता है। वो जीवन की हर कठिनाई में, हर चुनौती में हमारा साथ देता है। यह बताता है कि सच्चे रिश्ते कभी भी समय और स्थान की सीमाओं में बंधे नहीं होते। हमारी मंजिलें एक "मैं जिस पार गया, तुम भी उस पार आए," इस पंक्ति में एक दूसरे के लिए समर्पण और आपसी समझ की गहराई दिखाई देती है। यह क...